Saturday 18 June 2011

सुख दुःख क्या है ?

जितने फूल खिले उपवन में, कुछ पल वो सम्मान हैं पाते 
हम निहारते रहते उसको , प्रातः तक जो नहीं खिला है 
जो झोली में आ जाता है , क़ीमत अपनी खो देता है 
सुख हम सब कहते हैं उसको ,जो जीवन में नहीं मिला है


साथ हमारे जो भी रहता , वो लगता है अति साधारण 
उसको हम कुछ मान न देते , जो अपने संग पला बड़ा है 
एक दिन सुआ पलायन करता ,नयनों में भर जाता आंसू 
दुःख हम सब को वो देता है , जो मिलकर के चला गया है 

No comments:

Post a Comment