Tuesday 9 February 2016

न रोइए कि सो गया है दिल

न रोइए कि सो गया है दिल
अश्क़ गिरते हैं शोर होता है

वो तेरी आँख से बरसा सावन
मेरा दामन यहाँ भिगोता है

लाया था क्या जिसे ले जायेगा
ये आदमी है फिर भी रोता है

प्यार  के घर में पीर पलती है
जिसको हो जाये वही रोता है

लोग आते हैं लौट जाने को
यहां सदियों से यही होता है