Wednesday 15 June 2016

दोनों मरते हैं सहर होती है

चराग़ो शब की जंग के आखिर
दोनों मरते हैं सहर होती है

बेखबर रहता  है बेदर्द मेरी आहों से
ज़माने भर को गो इसकी  खबर होती है

हम ग़रीबों के पास है ही क्या
दौलते इश्क़ है सब तेरी नज़र होती है

न होता ग़म जो मुहब्बत की  चुभन
उधर भी होती ग़र जितनी इधर होती है

Tuesday 9 February 2016

न रोइए कि सो गया है दिल

न रोइए कि सो गया है दिल
अश्क़ गिरते हैं शोर होता है

वो तेरी आँख से बरसा सावन
मेरा दामन यहाँ भिगोता है

लाया था क्या जिसे ले जायेगा
ये आदमी है फिर भी रोता है

प्यार  के घर में पीर पलती है
जिसको हो जाये वही रोता है

लोग आते हैं लौट जाने को
यहां सदियों से यही होता है

Thursday 3 December 2015

तू रहना सबसे पीछे

वक़्त एक पल भी पीछे नहीं जाता है
यादें  ले जातीं हैं बरसों पीछे

वो जाने वाला राहे अदम जानता है
यूँ चला जाता है आँखें मीचे

जितने दिखते हैं उससे भी  ज़्यादा
दबे हैं लोग ज़मीं के नीचे

ले मैं लाख बरस तेरे नाम करता हूँ
तू बचे रहना सबसे पीछे

Wednesday 16 September 2015

आया करोगे याद

जाएंगी तेरी यादें बस  ज़िंदगी के बाद
जब तक चलेंगी धड़कनें आया करोगे याद

अब जितना दूर कर दें जलते हुए ये दिन
आयेंगी सर्द रातें आया करोगे याद

घिर आएंगे अँधेरे टूटेगा जब बदन
तारों से होंगी बातें आया करोगे याद

लो देखो फिर चलीं हैं भीगी हुई हवाएँ
भीगेंगी फिर से पलकें आया करोगे याद

Monday 14 September 2015

और हम थे तरसते रहे दीदार के लिए

इक आईने ने देखा तुमको हज़ार बार
और  हम थे तरसते रहे दीदार के लिए

ना जाने कितनी बातें कीं  दुनियाँ  से आपने 
दो बोल प्यार के न थे बीमार के लिए

सब उड़ गए परिंदे अब आसमान में
क्यों हम भी जी रहे हैं बेकार के लिए

अक्सर दिखे हैं  आपके इनकार के तेवर
खोला भी करिये लब कभी इक़रार के लिए

Thursday 3 September 2015

नींद आ जाए वो नसीब कहाँ

नींद आ जाए वो नसीब कहाँ
रातें आ आ के जलातीं हैं सौतन की तरह

बहुत सताया है ज़िंदगी तुमने
जी करे है कि रूंठ जाएँ बचपन की तरह

दर्द जो हर घड़ी छलकता है
काश कि ये भी बरस जाता सावन की तरह

निकल गया  जो  मन के आँगन से
फिर नहीं लौटा  गुज़रे हुए जीवन की तरह

Friday 28 August 2015

तुम बिना बात क्यूँ नहीं मिलते

सिर्फ मिलते हो किसी मक़सद से
तुम बिना बात क्यूँ नहीं मिलते

इतना उजड़ा है अब चमन कि यहां
मौसमी फूल भी नहीं खिलते

तसल्लियों का खज़ाना तो सभी रखते हैं
ज़ख्म दिखते हुए नहीं सिलते

वादा उसने किया था कल का हमें
आज भी रह गया मिलते मिलते