सिर्फ मिलते हो किसी मक़सद से
तुम बिना बात क्यूँ नहीं मिलते
इतना उजड़ा है अब चमन कि यहां
मौसमी फूल भी नहीं खिलते
तसल्लियों का खज़ाना तो सभी रखते हैं
ज़ख्म दिखते हुए नहीं सिलते
वादा उसने किया था कल का हमें
आज भी रह गया मिलते मिलते
तुम बिना बात क्यूँ नहीं मिलते
इतना उजड़ा है अब चमन कि यहां
मौसमी फूल भी नहीं खिलते
तसल्लियों का खज़ाना तो सभी रखते हैं
ज़ख्म दिखते हुए नहीं सिलते
वादा उसने किया था कल का हमें
आज भी रह गया मिलते मिलते
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