Friday 28 August 2015

तुम बिना बात क्यूँ नहीं मिलते

सिर्फ मिलते हो किसी मक़सद से
तुम बिना बात क्यूँ नहीं मिलते

इतना उजड़ा है अब चमन कि यहां
मौसमी फूल भी नहीं खिलते

तसल्लियों का खज़ाना तो सभी रखते हैं
ज़ख्म दिखते हुए नहीं सिलते

वादा उसने किया था कल का हमें
आज भी रह गया मिलते मिलते

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