Monday 18 November 2013

बड़ा पाप.....

यदि आपके ऊपर कोई आश्रित नही है और आप एकांत में थोड़ी बहुत शराब पीते हैं , यह ग़लत तो है परन्तु बहुत बड़ा पाप नहीं है , क्यूंकि इससे आप केवल अपनी ही हानि करते हैं , किसी और की नहीं । दूसरी परिस्थिति वह है जिसमें आप के ऊपर एक परिवार आश्रित है , आपके पीने से आपका अपना स्वस्थ्य तो जाएगा ही , घर का आर्थिक संतुलन बिगड़ेगा , संतान पर बुरा प्रभाव पड़ेगा । यह बहुत बड़ा पाप है ।
आप बीती सुनाता हूँ । छात्रावासीय अंतिम वर्षों में मैंने थोडा बहुत पीना प्रारम्भ कर दिया था , कारण अनेक थे जिनको यहाँ पर लिखना सम्भव नहीं है । तीसरे चौथे दिन कुछ न कुछ हो जाती थी और यह क़रीब चार पांच वर्षों तक चलता रहा । नवम्बर १९७७ में मेरा विवाह तय हुआ , मैंने सोचा कि यदि मैं इस रास्ते पर चलता रहा तो मेरे परिवार का क्या होगा ? शादी हुई नहीं थी , होनी थी । मेरे ऊपर कोई दवाब नहीं था , किसी ने कोई सलाह नहीं दी। एक शाम को तय किया कि अब नहीं …। मेरा ईश्वर और परिवार गवाह है कि तब से आज ३५ वर्ष हो गए , मैंने शराब तो क्या मीठा पान भी नहीं खाया । मेरी माँ मुझे एक वर्ष का छोड़ कर स्वर्ग सिधार गयी थीं , बुज़ुर्ग बताते हैं , वे एक बहुत ही सरल ह्रदय की महिला थीं । संभवतया उन्ही के आशीर्वाद के फलस्वरूप मुझे यह प्रेरणा मिली और मैं एक बड़े पाप से बच गया ।
वैसे यदि आप अकेले भी हैं तो इस लत से बचिए क्यूंकि इसके प्रयोग से हानि छोड़ और कुछ नहीं होता ।

Thursday 14 November 2013

प्यार हो जाएगा डर लगता है


बेपर्दा न आ   तसव्वुर में मेरे
प्यार हो जाएगा डर लगता है

सुबह की धूप है  चेहरा तेरा
ये सच नहीं है मगर लगता है

मिल गये   तुम नसीब है मेरा
ये दुआओं का असर लगता है

किस मक़ाम  पे ले आयी  उमर
हर एक दर्द अब तो  दर्दे जिगर लगता है 

दर्दे जिगर लगता है

बेपर्दा न आ   तसव्वुर में मेरे
प्यार हो जाएगा डर लगता है

सुबह की धूप से रुखसार तेरे
ये सच नहीं है मगर लगता है 

दिख गए तुम नसीब है मेरा
ये दुआओं का असर लगता है

किस मक़ाम  पे ले आयी  उमर 
हर एक दर्द अब तो  दर्दे जिगर लगता है

Tuesday 12 November 2013

मैं कैसा हूँ

मुमकिन नहीं कि खुद को देख पाऊँ मैं
अब तुम ही बता सकते हो मैं कैसा हूँ

नहीं बची है उमर बदलूं और सुधर जाऊं
मुझे स्वीकार करो जो भी हूँ और जैसा हूँ

बड़ी उसूलों की क़ीमत चुकाई है दिल ने 

तुम ग़लती से समझ लेना ऐसा वैसा हूँ
 

बांटने निकला हूँ कुछ मोम जैसे एहसास
कौन लेगा ,
न तो दौलत हूँ और न पैसा हूँ 



                                                   

Monday 11 November 2013

रोज़ कहते हो कि मर जायेंगे


रोज़ कहते हो कि मर जायेंगे
लोग कह कर कभी नहीं मरते

मैं बुरा हूँ  तो रब से मेरे लिए
क्यूँ मौत की दुआ नहीं   करते 

आदमी खुद  को दफ्न करता है
 हादिसे   यूँ  ही हुआ नहीं करते

 न भर  तू आह, सुलगती है आग   
 जले  कोई  तो  हवा  नहीं करते 

Thursday 7 November 2013

लोग जग जाएंगे मातम न करना

आधी रात में  पत्ते गिरें तो ग़म न करना
लोग जग जाएंगे मातम न करना

कि जब तक प्यार ज़िंदा है ये दुनिया है
ग़रीबों से मोहब्बत  कम न करना

बस आंसू ही आंसू हैं जिधर देखोगे तुम
आँखें महबूब की पुरनम न करना

जो गर मेरे तसव्वुर से  जिगर तडपे तेरा
याद मुझको मेरे हमदम न करना

Wednesday 6 November 2013

रोने से न गया तेरा ग़म

रोने से न गया तेरा ग़म
मजबूर हो के हंसना पड़ा

छिपाये रखना था जो  राज़
 सरे बज़्म उसे कहना पड़ा

 क़तरा तक़दीर बदल न सके
उसने  रक्खा वैसे रहना पड़ा

 उम्र भर डरते थे बरसातों से
आज  सैलाब  मॆं  बहना  पड़ा