न पलट पुरानी ज़िन्दगी ,नहीं आएगा जो चला गया
जो बची है थोड़ी डायरी ,उसे लिख कलम संभाल के
ये समय की तेज बयार है इसे ले गयी उसे ले उड़ी
हैं अलग अलग मक़ाम पे, कभी पंछी थे एक डाल के
कोई ख़ार दिल में चुभेगा तो मेरी याद तुझ को सताएगी
तुझे क्या मिला मेरे बागवां मुझे यूँ चमन से निकाल के
और जीने को कहते है तेरे नयन
फिर से शाखों पे आया है एक बांकपन