Thursday 20 June 2013

हर एक खुशी से पहले

ग़म देर तक रुका है हर एक खुशी से पहले
हाँ   कुछ तो होश था हमें इस बेखुदी से पहले

ये  वक़्त का जादू है  किस को न बदल डाले
इंसान  एक बना  था इस आदमी से पहले

इस खेल में  किसी का मुक़द्दर न  डूब जाए
थोडा था सोचा करिए एक दिल्लगी  से पहले

ख्वाबों का आशियाँ क्यूँ कर सजाये कोई
सामान ए मौत हाज़िर है ज़िंदगी से पहले

Sunday 16 June 2013

कुछ इस तरह गए तुम

कुछ इस तरह गए तुम मेरी ज़िंदगी में आके
ठहरे हुए पानी को हिला दे कोई पत्थर

जितनी भी कोशिशें कीं लहरों ने बिछड़ने की
हर बार उतना ही बड़ा होता गया सागर

औरों से पूछते हो क्या मैं अभी ज़िंदा हूँ
बेहतर है मेरे घर में खुद देख लो आकर