Friday 7 March 2014

जिनकी तालीम

जिनकी तालीम उठाती है इंसानी क़द
ऐसे इंसान ज़माने को गिरे लगते हैं

जिनके साये ने रोकी है सूरज की तपिश
धूप ढल जाय तो वे लोग बुरे लगते हैं

कभी एक तरफ से नहीं जुड़ते  रिश्ते
जोड़ बनने में  दोनों ही सिरे लगते हैं

इतने गहरे  हैं कुछ ज़ख्म तेरी यादों के
बरस बीत गए  फिर भी हरे लगते हैं