Thursday 14 June 2012

मंज़िल किधर गयी


मुश्किल है दौर इतना और उम्र थक गयी
अब किससे जा के पूछें मंज़िल किधर गयी

बाज़ार में पूछा था "इंसानियत मिलेगी ?"
सब हंस के कह रहे थे "वो कब की मर गयी "

ना जाने क्यूँ हम उसकी नज़र से उतर गये
तस्वीर जिसकी नज़रों  से दिल में उतर गयी

दीवानेपन की इंतिहा थी  तुझसे   मोहब्बत
एक तू ही तू दिखता था  जहाँ तक नज़र गयी