Sunday 15 July 2012

किसी फ़क़ीर की दुआ हूँ मैं


ज़ेहन में ज़िंदा हैं यादों के फूल
इतना बंजर नहीं हुआ हूँ मैं

अपने सीने में सजा कर रख लो
किसी फ़क़ीर की दुआ हूँ मैं

तेरी खुशियों से दूर हूँ फिर भी
तेरे  हर ग़म से आशना हूँ मैं

मेरे हमदम मुझे बाहों में न भर
हवा में फैलता धुआं हूँ मैं

लफ़्ज़ों की शक्ल में आंसू बन कर
कितने जन्मों से बह रहा हूँ मैं

इस क़दर डूबा तेरी आँखों में
अब तो ख़ुद को ही ढूंढता हूँ मैं










Thursday 5 July 2012

परछाइयाँ नहीं जाती





वक़्त आ कर के चला जाता है
उसकी परछाइयाँ नहीं जाती

इतना भीगा है आंसुओं से दामन
अब तो खुशियाँ सही नहीं जातीं

प्यार खामोशियों में पलता है 
सारी बातें कही नहीं जातीं
 
लोग शोहरत तो भूल जाते हैं
पर ये रुसवाइयां नहीं जातीं

काम  आती नहीं मेरी तालीम
उन की आँखें पढी नहीं जातीं

इतने लोगों से घिरा रहता हूँ
फिर भी तनहाइयां नहीं  जातीं