Thursday 25 July 2013

वही दिल तक पहुँचते हैं

लौट जाते हैं टकरा कर बदन से बेशुमार अलफ़ाज़
निकलते हैं जो दिल से बस वही दिल तक
पहुँचते हैं
न जाने कितनी रूहे दफ़्न हो जाती हैं दरिया में
सफ़ीने खुशनसीबों के ही साहिल तक पहुँचते हैं

सज़ा मिलती है मासूमों को दुनिया की अदालत में
हाथ क़ानून के कब सच में क़ातिल
तक पहुँचते हैं

कही है दास्ताँ  कुछ  तो   तेरी  झुकती निगाहों ने
यही बस  देखना है कब तेरे  दिल तक पहुँचते हैं

Tuesday 23 July 2013

कोई तो दर्द दिल में पलने दे



जो सुलगता  है तेरे ज़ेहन में
खिड़कियाँ खोल  उसे जलने दे 

दूंगा  तोहमतों का जवाब
अभी बेचैन हूँ  संभलने दे

ये वीरानियाँ बहुत सताएंगी
कोई तो दर्द दिल में पलने दे

रुके जो पाँव तो मर जाऊँगा
अभी हिम्मत है मुझे चलने दे

है चरागाँ  मेरे सनम  की गली
घर से बाहर मुझे निकलने दे




Tuesday 16 July 2013

मैं उसी निगाह में क़ैद हूँ


मैं उसी निगाह में क़ैद  हूँ   जिसे दिल जलाने का शौक़ है
न  मिलेगा मुझको वो बेरहम उसे आज़माने  का शौक़ है

उस  बेवफ़ा का  हूँ  मुन्तजिर एक रात में जो बदल गया
कभी ये सनम कभी वो सनम ये नए ज़माने का शौक़ है 

 ग़र एक बार की बात हो कोई रख दें कलेजा निकाल
के
उसे  कौन कब तक  मनायेगा  जिसे रुंठ जाने का शौक़ है

अब तेरे बिछड़े मकान में रहने आ गया है कोई  अजनबी
जो पुकारता था वो चला  गया  किसे अब बुलाने का शौक़ है

Wednesday 10 July 2013

ये वो ग़म का खज़ाना है

मोहब्बत में सुकूँ का कोई भी आलम नहीं होता
ये वो ग़म का खज़ाना है कभी जो कम नहीं होता

तन्हाई रात की रह रह पिघलती है तो बनता है
समन्दर में हर क़तरा आब का शबनम नहीं होता

जो खुशियाँ हैं तो फिर क्या है ज़माना ही हमारा है
छलकती आँख का कोई यहाँ हमदम नहीं होता

फिजायें कैसी भी बदलें भिगो जातीं हैं दामन को
जो आंसू सोख ले ऐसा कोई मौसम नहीं होता