इक आईने ने देखा तुमको हज़ार बार
और हम थे तरसते रहे दीदार के लिए
ना जाने कितनी बातें कीं दुनियाँ से आपने
दो बोल प्यार के न थे बीमार के लिए
सब उड़ गए परिंदे अब आसमान में
क्यों हम भी जी रहे हैं बेकार के लिए
अक्सर दिखे हैं आपके इनकार के तेवर
खोला भी करिये लब कभी इक़रार के लिए
और हम थे तरसते रहे दीदार के लिए
ना जाने कितनी बातें कीं दुनियाँ से आपने
दो बोल प्यार के न थे बीमार के लिए
सब उड़ गए परिंदे अब आसमान में
क्यों हम भी जी रहे हैं बेकार के लिए
अक्सर दिखे हैं आपके इनकार के तेवर
खोला भी करिये लब कभी इक़रार के लिए
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