Wednesday 29 June 2011

बड़ा अहसान करते हैं

तुझे बहका न दे दरिया ,रवानी मस्त मौजों की
हैं कुछ नादान  जो जीना तेरा आसान करते हैं
जिनकी आग़ोशीयाँ  करती हैं हिफ़ाज़त तेरी
ये तुझ पर संगे साहिल भी बड़ा अहसान करते हैं
चमक को देख कर उसकी , नहीं उंगली बढ़ाते हैं 
तज़ुर्बेकार  हीरे की  पहले  पहचान करते हैं
इसे मत तोडना तुम है ये गुलदस्ता अक़ीदत का
कि इतनी बदसलूकी तो फ़क़त अनजान करते हैं
  
 

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