तू है ग़फलत में कोई और बचा लेगा तुझे
जो ख़ुद ही डूब गया ख़ाक संभालेगा तुझे
न देख बिछड़े चमन को अब इतनी हसरत से
कोई नहीं जो वहां फिर से बुला लेगा तुझे
नाख़ुदा डर के कहीं छुप गया है मौजों से
चढ़ते दरिया से भला कौन निकालेगा तुझे
अब सो गया है ये मदहोश शहर तू भी सो
कोई जो रिंद जगेगा तो जगा लेगा तुझे
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