Chithhi
Monday 26 December 2011
ज़िंदा है प्यार
अभी कल ही तो यहाँ आया था चमन पे शबाब
कैसा तारी था हर एक कली पे निखार
वक्ते रूखसत है तो ख़ुद देख अपनी आँखों से
पत्ते पत्ते सी किस तरहा बिखरी है बहार
ये तेरा हुस्न भी एक दिन तो बिखर जाएगा
रूह बेदाग़ बना तू अपनी ज़ुल्फें न संवार
हर एक शम्मा अपनी उम्र ले के आती है
बदन तो रोज़ यहाँ मरते हैं ज़िंदा है प्यार
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