Chithhi
Monday 26 December 2011
सच को पानी में छुपाता क्या है
सच को पानी में छुपाता क्या है
उसका रंग और निखर आएगा
अभी तो दिन है ,चेहरे पहचान
वरना फिर रात में पछतायेगा
तेरी ज़ुल्फों का ये रंगे ख़िज़ाब
ओस की बूंद में घुल जाएगा
मैं तो लुटता रहा हूँ सदियों से
तू मुझे लूट के क्या पायेगा
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