Wednesday 21 December 2011

शब बहुत अँधेरी थी


यूँ समझिये कि ख़ुदकुशी कर ली
कटे थे पंख हवाओं से दोस्ती कर ली

न थे चराग़ और शब बहुत अँधेरी थी
दिल जलाकर के रोशनी  कर ली

इस तरफ आते हैं वो लौट कर नहीं जाते
ये है बदनाम मोहब्बत की गली

उतर के आयी तेरे गेसुओं से सांवली शाम
लजाती धूप पी के घर को चली


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