Saturday 12 November 2011

मैं तुम्हे देखा करूँ

जानते   हैं लोग मुझको सब   तुम्हारे  नाम से
और ज़्यादा  खुद को मैं अब किस तरह रुसवा करूँ

ये तुम्हारी  बेरुख़ी  है   और  है    मेरी बेबसी   
तुम   उधर  देखा करो  और मैं  तुम्हे देखा करूँ


प्यार दोनों ने किया है फिर नतीजे क्यूँ अलग

तुम सरे महफ़िल हंसो और तनहा मैं रोया करूँ

मेरा तुमको चाहना  शायद ग़लत था फैसला

मैं किसे चाहूँ ये क्या वाइज़ से मैं पूछा करूँ ?



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