Saturday 3 September 2011

एक रहनुमा मिला

एक रहनुमा मिला सफ़र आसान बन गए
कुछ बहके हुए लोग फिर इंसान बन गए

दरवाज़े पे देते थे  बड़ी   देर से  दस्तक
वो प्यार  के रिश्ते मेरा ईमान बन गए

मैं कहता रहा उनसे अपने जिगर का दर्द
वो मेरी हर एक बात पे अनजान बन गए

माँगा  जो हवाओं ने साँसों से थोड़ा  क़र्ज़
जितने बड़े थे कारवाँ  सुनसान  बन गए

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