Wednesday 28 November 2012

पूरे असर के बाद

क्या बताएं तुम्हे इस पल कि कैसा है समंदर
सूरत बदलती जाती है हर एक लहर के बाद

चढी है धूप गुलों से लग लो गले जी भर के
सिर्फ साये ही मिलेंगे तुम्हे दोपहर के बाद


दो चार लमहे गुज़रे  हैं  पी कर न कर गुरूर
लाती  है रंग अपना मय पूरे असर के बाद

कुछ इस क़दर मसरूफ हुआ है ये आदमी
मिलता है ढले शाम ही अब तो सहर के बाद

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