Saturday 16 July 2011

मेरा जी बहुत उदास है

यूँ ही रात सारी निकल गई , कोई ख्वाब भी न गले मिला
लो शमा की उम्र भी ढल गई , मुझे जुगनुओं की तलाश है

घनी छाँव वो तेरी ज़ुल्फ़ की, किस गली के मोड़ पे छुट गई
मेरे पास आ मेरी ज़िन्दगी , मेरा जी बहुत उदास है
मुझे दे गए बड़ी राहतें  ,मिले राह में कई अजनबी
वहीँ गर्दिशों ने  सिखा दिया , वो ही दूर है जो भी पास है

ये ही कहते हैं सभी राहजन , बड़ी दूर अब वो चला गया
हैं  अजीब  दिल की  हसरतें ,उसे अब भी मिलने की आस है 

No comments:

Post a Comment