Saturday 28 April 2012

सुबह आयी है ख़बर

सुबह आयी है ख़बर ज़िंदा हूँ
कल था चर्चा, नहीं रहा हूँ मैं

एक ग़ज़ल लिखी है तेरे नाम
उसी की धुन बना रहा हूँ मैं

दिया सच का हवा से न बुझे
हथेलियों को जला रहा हूँ मैं   

होठ हँसते हैं जिगर घायल है 
रस्मे दुनियाँ निभा रहा हूँ मैं

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