Monday 16 April 2012

आँख लगी है अभी

ये मानता हूँ निकल आया सलोना सूरज
उसे सोने दो उसकी आँख लगी है अभी

मिला है वक़्त अभी और जीते रहने का
तू मिलेगा ये तमन्ना नहीं मरी है अभी
है फ़िक्र उनको कि घर में अभी अँधेरा है
इन चराग़ों में थोड़ी सी रोशनी है अभी

उस परी पैकर के तसव्वुर में मुझे रहने दो
खो गया चाँद मगर दिल में चांदनी है अभी

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