Sunday 29 September 2013

दिया हूँ बुझता हुआ

दिया हूँ बुझता हुआ मुझपे भरोसा न करो
चलो बुरा हूँ मैं पर इतना भी कोसा न करो

यहाँ से जो भी गया एक ही कपडे में गया
ये मेरा है वो मेरा है खामखाँ सोचा न करो

हर एक चेहरे के पीछे एक नया चेहरा है
बिना पहचान दिलो जान परोसा न करो

तुमको चाहा है बस इतनी खता है मेरी
मेरी नज़र को भरे शहर में रुसवा न करो

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