Thursday 26 September 2013

नफ़रत सी हो चली है




जुड़ गया है इसका रिश्ता क़त्ले आम से
नफ़रत सी हो चली है मज़हब के नाम से

खून बहाने की तुम्हे किसने दी इजाज़त 
पूछेंगे हम अल्लाह से पूछेंगे राम से

ना जाने कहाँ खो गयीं , गीता औ कुरान
अहले जहां को  इश्क हुआ  इंतक़ाम  से

चुपचाप लौट जाऊँगा  मयखाने से  प्यासा
बस  एक घूँट दे दे  मोहब्बत के जाम से 

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