Sunday 21 October 2012

तालीम अधूरी है अभी


दफ़्न करना मुझे मदरसे की फुलवारी में
मेरी तालीम अधूरी है अभी

भीड़ है इतनी कि लड़ता है बदन से बदन
दिलों के बीच में दूरी है अभी

तू जानता है डगर फिर भी  इन अंधेरों में
एक चराग़ ज़रूरी है अभी

न  मिला है न मिलेगा उम्र भर तू  शायद
मिलने  की आस तो पूरी है अभी

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