Chithhi
Wednesday 29 August 2012
चाहता हूँ तुझे
तेरी कमियाँ पसंद आने लगीं
ऐसा लगता है चाहता हूँ तुझे
मांग कर रब से थक गया हूँ मैं
आज तुझ ही से मांगता हूँ तुझे
मय से बुझती तो बुझ गयी होती
रूह की प्यास कब पीने से बुझे
मेरी रग रग में रह रहा है तू
दर ब दर मैं तलाशता हूँ तुझे
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