Tuesday 28 August 2012

तब दिल को धड़कना होता है

जाने कितनी ही रातों में , ये चाँद कहीं खो जाता है
भटकों को राह दिखाने को ,तारों को चमकना होता है

दुनियाँदारों का क्या कहिये ,हर क़दम संभल कर रखते हैं
तब मय का मान बढ़ाने को ,रिंदों को बहकना होता है

दिन से अक्सर लड़ते लड़ते , बेहोश बदन हो जाता है
जीवन की डोर चलाने को  , तब दिल को धड़कना होता है

शाखें पत्ते जब शाम ढले ,सब अपनी थकन मिटाते हैं
आबरू ऐ चमन बचाने को, फूलों को महकना होता है

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