Wednesday 7 March 2012

यहाँ भूखे हैं लोग

झूठे वादे न कर रहबर यहाँ भूखे हैं लोग
ज़िंदगी एक  हक़ीक़त है कोई ख्वाब नहीं

कोई बहाना नया फिर से ढूँढ मत साक़ी
कभी पियाला नहीं तो कभी शराब नहीं 

ये ढलती उम्र है इतने सवाल करती है
और मेरे पास इनका कोई  जवाब नहीं

 जीना होगा तुझे ऐ दोस्त  इन्ही  कांटो में
 चमन में बाकी अब एक भी  गुलाब नहीं



 

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