Monday 17 October 2011

मेरी तक़दीर है

दिले हिन्दोस्तां,हम सब की ये जागीर है
अदब से नाम लो इसका कि ये कश्मीर है

मोहब्बत के फ़रिश्तों ने बनाया है जिसे
मेरे महबूब की एक शोख़ सी तस्वीर है

छोड़ के साथ भला तुम कहाँ जाओगे
पड़ी पैरों में उल्फत की बड़ी ज़ंजीर है

मेहंदी से ढक गयीं हैं हाथों की लक़ीरें
तेरी तक़दीर में पिनहाँ मेरी तक़दीर है

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