Thursday 6 October 2011

मर जायगा रावण तभी


मरता है केवल आदमी ,मरता नहीं रावण कभी
पत्थर के दिल जलते नहीं ,जलता है एक बेबस का जी

इतने बरसों से जलाते आ रहे हैं जिसको हम

जिस्म बस जलता है उसका रूह ज़िंदा है अभी

भूख से बदहाल रामू किस क़दर माज़ूर है
राम घर आ जायेंगे रामू को दे दो ज़िंदगी

भुखमरी को जीत लो तुम जीत होगी राम की

सच की चादर ओढ़ लो मर पायगा रावण तभी
 

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