Tuesday 14 January 2014

फिर उन्ही राहों पे मुड़ना होगा

वक़्त कहता है कि उड़ना होगा
मिले थे तुमसे, बिछुड़ना होगा

बहुत सताएगी तन्हाई हमें
तुम्हारी यादों से जुड़ना होगा

दूर तक कोई भी हमदम न मिले
फिर उन्ही राहों पे मुड़ना होगा

भूल बैठे थे जो क़द झूमती हवाओं में
उन्ही पंखों को सिकुड़ना होगा

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