मुझे दे दो तुम अपने सारे ग़म
जगह बड़ी है इस नाज़ुक दिल में
खुशियों में याद तुम करो न करो
देना आवाज़ जब हो मुश्किल में
बड़ा सुकून है ऐ दोस्त चलते रहने में
नहीं मिलता है जो कभी मंज़िल में
अब तो साग़र में ही महफ़ूज़ है क़श्ती
दरारें आज इतनी पड़ गयी हैं साहिल में
जगह बड़ी है इस नाज़ुक दिल में
खुशियों में याद तुम करो न करो
देना आवाज़ जब हो मुश्किल में
बड़ा सुकून है ऐ दोस्त चलते रहने में
नहीं मिलता है जो कभी मंज़िल में
अब तो साग़र में ही महफ़ूज़ है क़श्ती
दरारें आज इतनी पड़ गयी हैं साहिल में
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