Saturday 2 February 2013

एक आशियाँ था यहाँ

एक आशियाँ था यहाँ
कहाँ गया चलो आँधियों से पूछते हैं

एक घोंसला था चिड़िया का
किसने तोडा चलो पंछियों से पूछते हैं

बिना बताये उनका चुप रहना
कोई इतना तो बताये वो क्यूँ रूठते हैं

हवा चले या कि खामोश रहे
पत्तों को टूटना होता है सो रोज़ टूटते हैं

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