मेरे दरवाजे पे लोगों का हुजूम
है इतनी भीड़ डर गया हूँ मैं
दुश्मन भी कर रहे हैं तारीफ़
ऐसा लगता है मर गयां हूँ मैं
बदन जितनी ज़मीन मेरी है
सो सकूँगा जिधर गया हूँ मैं
न मना ग़म मैं एक लमहा था
झपकी पलकें गुज़र गया हूँ मैं
है इतनी भीड़ डर गया हूँ मैं
दुश्मन भी कर रहे हैं तारीफ़
ऐसा लगता है मर गयां हूँ मैं
बदन जितनी ज़मीन मेरी है
सो सकूँगा जिधर गया हूँ मैं
न मना ग़म मैं एक लमहा था
झपकी पलकें गुज़र गया हूँ मैं
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