Chithhi
Thursday, 29 November 2012
सूरत बदल नहीं सकता
अपने दिल में उतार सकता है
शीशा सूरत बदल नहीं सकता
वक़्त को हमने आजमाया है
मेरी किस्मत बदल नहीं सकता
न भर शराब अब मेरे पैमाने में
इतनी पी है संभल नहीं सकता
नहीं है खूँ जो निकल जाएगा
ग़म है पत्थर निकल नहीं सकता
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