थाल दीपों का सज गया लेकिन
किसे पूजें कोई ईश्वर तो मिले
डूब जायेंगे बड़े शौक़ से हम भी
रंग और रूप का सागर तो मिले
किसने माँगा है रेशम का लिबास
लाज ढकने को चादर तो मिले
हम तलाश आये हैं कितने पर्वत
कहीं ईमान का पत्थर तो मिले
किसे पूजें कोई ईश्वर तो मिले
डूब जायेंगे बड़े शौक़ से हम भी
रंग और रूप का सागर तो मिले
किसने माँगा है रेशम का लिबास
लाज ढकने को चादर तो मिले
हम तलाश आये हैं कितने पर्वत
कहीं ईमान का पत्थर तो मिले
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