तेरी एक तस्वीर दिखा कर मुझको
खुद आइना ही बिखर गया
वादा करता रहा जो रात भर मुझसे
सुबह ज़िंदगी से मुकर गया
मैं भी पागल हूँ पूछता हूँ तूफां से
मेरा आशियाँ था किधर गया
बरसों तुझे नज़रों में क़ैद रख कर मैं
खुद आइना ही बिखर गया
वादा करता रहा जो रात भर मुझसे
सुबह ज़िंदगी से मुकर गया
मैं भी पागल हूँ पूछता हूँ तूफां से
मेरा आशियाँ था किधर गया
बरसों तुझे नज़रों में क़ैद रख कर मैं
क्यूँ तेरी नज़र से उतर गया
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