सुन कर मेरी सदायें जब चल पड़ा ज़माना
शर्मिंदा ही किया है हर बार घर पे अपने
मिलना हो अगर तुमको तो मेरे घर ही आना
करते हैं बहस हाक़िम पानी कहाँ से लायें जब ख़ाक़ हो रहा है जल जल के आशियाना
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