भेड़ियों से घिर गया है हिरन
सारा जंगल मौन रह कर देखता है
क्या हिरन बच पायेगा ?
रात के पंजो से घायल किरन
मेरा दिल मुझसे यही अब पूछता है
क्या सबेरा आएगा ?
रह रह के भीगते हैं ये नयन
एक गांधी जो कब का मर चुका है
हर रोज़ मारा जाएगा ?
सोच कर डूबता है प्यासा मन
ये काला बादल जो हर घड़ी गरज़ता है
क्या बारिशें भी लाएगा ?
No comments:
Post a Comment