सच को बचाए रखना
रुसवाइयां मिलेंगी इन प्यार की राहों में
दुनिया की रवायत है कुछ तो करेगी बात
हम ढूंढते हैं रब को मासूम निगाहों में
क्यूँ फ़िक्र करें उसकी जो दिन को कहे रात
एक ख्वाहिशे जन्नत से दोज़ख बनी ज़मीं है
मेरे लिए है काफी ग़र तू है मेरे साथ
है जीने की जो हसरत, सच को बचाए रखना
यूँ ही बनाए रखना हाथों में मेरा हाथ
No comments:
Post a Comment