बंद आखों में नज़र आते हैं कितने चेहरे
आँख खुलती है कोई भी नहीं दिखता है
ख्वाब दुनिया है या ख्वाब में है ये दुनिया
सब हक़ीक़त है तो ख्वाब में क्या दिखता है
हादिसे होते हैं यहाँ पहले से लिखी होनी से
होनी ये किस तरह होनी है कौन लिखता है
कोई तो रिश्ता है इस आंसू का तेरे चेहरे से
आँख खुलती है कोई भी नहीं दिखता है
ख्वाब दुनिया है या ख्वाब में है ये दुनिया
सब हक़ीक़त है तो ख्वाब में क्या दिखता है
हादिसे होते हैं यहाँ पहले से लिखी होनी से
होनी ये किस तरह होनी है कौन लिखता है
कोई तो रिश्ता है इस आंसू का तेरे चेहरे से
निकल के आँख से रुखसारों पे क्यूँ रुकता है
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