कोई नहीं हुआ जब तड़प रही थी मैं
मर गयी मैं त़ो मेरा चर्चा बहुत हुआ
तब ये हुआ फिर ये, होती रही बहस
नंगे मेरे बदन का तमाशा बहुत हुआ
मुज़रिम को सजा हो, ये बातें बहुत हुईं
ज़ुर्म होता रहा यूँ ही , ऐसा बहुत हुआ
मुफ्त में मिल गया सियासत को मुद्दा
शान ऐ हुक़ूमत में इज़ाफा बहुत हुआ
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