Chithhi
Tuesday, 25 December 2012
ज़रा ठहर तू यहीं
ऐ जवान उम्र ज़रा ठहर तू यहीं
अभी आता हूँ बुढापे से मिलकर
मेरे जाने से रौनक भी चली जायेगी
मरने वालों में मुझे न शामिल कर
लोग करते रहे समंदर की तलाश
हो गया राख शहर जल जल कर
नहीं होता है ख़त्म जुर्म सज़ा देने से
आओ लड़ें गुनाह से सभी मिल कर
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment