मिला है दर्द जहां से वो मेरे अपने थे
गैरों को क्या पता था मेरे ज़ख्म कहाँ है
कल रात इस बस्ती में जलाए गए थे लोग
जो खाली दिख रहे हैं वो सब उनके मकां हैं
नुमाइश नहीं लगी है सितारों की बदन पे
मेरे सीने पे चमकते तेरे तीरों के निशां हैं
महफ़िल में मेरा हँसना एक मेरी बेबसी है
रोने के कितने हादिसे इस दिल में निहां हैं
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