जितने फूल खिले उपवन में, कुछ पल वो सम्मान हैं पाते
हम निहारते रहते उसको , प्रातः तक जो नहीं खिला है
जो झोली में आ जाता है , क़ीमत अपनी खो देता है
सुख हम सब कहते हैं उसको ,जो जीवन में नहीं मिला है
साथ हमारे जो भी रहता , वो लगता है अति साधारण
उसको हम कुछ मान न देते , जो अपने संग पला बड़ा है
एक दिन सुआ पलायन करता ,नयनों में भर जाता आंसू
दुःख हम सब को वो देता है , जो मिलकर के चला गया है
हम निहारते रहते उसको , प्रातः तक जो नहीं खिला है
जो झोली में आ जाता है , क़ीमत अपनी खो देता है
सुख हम सब कहते हैं उसको ,जो जीवन में नहीं मिला है
साथ हमारे जो भी रहता , वो लगता है अति साधारण
उसको हम कुछ मान न देते , जो अपने संग पला बड़ा है
एक दिन सुआ पलायन करता ,नयनों में भर जाता आंसू
दुःख हम सब को वो देता है , जो मिलकर के चला गया है
No comments:
Post a Comment