Thursday, 30 June 2011

वो निकला है आँखे बंद किये

हर एक क़दम जो बढ़ाता था खोल कर आँखें
बड़े सफ़र पे वो निकला है आँखे बंद किये
लोग अब उसकी मजार पे जलाते हैं चराग़
जो सारी उम्र तरसता था रोशनी के लिए

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