Chithhi
Thursday, 30 June 2011
आतिश परस्त तू
तेरे मेरे ज़मीर में है देख कितना फ़र्क़
मैंने उगाये फूल तूने घर जलाया है
गुलशन परस्त मैं और आतिश परस्त तू
इज़हारे शौक दोनों ही ने कर दिखाया है
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