जब तारे रक्स करते हैं और चंदा गीत गाता है
किसी की याद में अश्कों से दामन भीग जाता है
फ़क़त वो एक ही गुल तो इधर का रुख नहीं करता
गुलों का शोख़ मौसम तो चमन में आता जाता है
तुम्हे कैसे बताएं हम यही दस्तूरे दुनियां है
जो कुछ ज्यादा चमकता है वो मोती टूट जाता है
एक इन्सां को मनाने का हुनर हमको भी है हासिल
उसे कैसे मनाएँ हम, अगर रब रूठ जाता है
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