ये ढलती रात ,ये तनहाई,तसव्वुर तेरा
उसपे ये मौसमे बरसात है बेदर्द बड़ा
तोहमत न लगा बादाकश नहीं हूँ मैं
पपीहे ने कहा 'पी पी ', मुझे पीना पड़ा
कहाँ से लाऊं उजाला मैं आज अपने लिए
मेरे साए का अँधेरा मेरे पीछे है खड़ा
सहारा न दे बदन को मगर हाथ तो दे
ये इम्तिहान बड़ा है और ये वक़्त कड़ा
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